This blog is basically created for motivational stories and current affairs around us so that we can boost up our memory .thanks for visit.
Translate
Sunday, 13 December 2015
उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल ), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात[3] भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तराञ्चल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। [4] राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। [5][6] राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना । इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। [7] इतिहास मुख्य लेख : उत्तराखण्ड का इतिहास यह भी पढ़ें: उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन, रामपुर तिराहा गोली काण्ड , श्रीनगर, गढ़वाल का इतिहास, उत्तराखंड में स्वाधीनता संग्राम स्कन्द पुराण में हिमालय को पाँच भौगोलिक क्षेत्रों में विभक्त किया गया है:- “ खण्डाः पञ्च हिमालयस्य कथिताः नैपालकूमाँचंलौ। केदारोऽथ जालन्धरोऽथ रूचिर काश्मीर संज्ञोऽन्तिमः॥ ” अर्थात हिमालय क्षेत्र में नेपाल, कुर्मांचल ( कुमाऊँ ), केदारखण्ड ( गढ़वाल), जालन्धर ( हिमाचल प्रदेश ) और सुरम्य कश्मीर पाँच खण्ड है। [8] पौराणिक ग्रन्थों में कुर्मांचल क्षेत्र मानसखण्ड के नाम से प्रसिद्व था। पौराणिक ग्रन्थों में उत्तरी हिमालय में सिद्ध गन्धर्व , यक्ष , किन्नर जातियों की सृष्टि और इस सृष्टि का राजा कुबेर बताया गया हैं। कुबेर की राजधानी अलकापुरी ( बद्रीनाथ से ऊपर) बताई जाती है। पुराणों के अनुसार राजा कुबेर के राज्य में आश्रम में ऋषि-मुनि तप व साधना करते थे। अंग्रेज़ इतिहासकारों के अनुसार हुण, सकास, नाग, खश आदि जातियाँ भी हिमालय क्षेत्र में निवास करती थी। पौराणिक ग्रन्थों में केदार खण्ड व मानस खण्ड के नाम से इस क्षेत्र का व्यापक उल्लेख है। इस क्षेत्र को देव- भूमि व तपोभूमि माना गया है। मानस खण्ड का कुर्मांचल व कुमाऊँ नाम चन्द राजाओं के शासन काल में प्रचलित हुआ। कुर्मांचल पर चन्द राजाओं का शासन कत्यूरियों के बाद प्रारम्भ होकर सन १७९० तक रहा। सन १७९० में नेपाल की गोरखा सेना ने कुमाऊँ पर आक्रमण कर कुमाऊँ राज्य को अपने आधीन कर लिया। गोरखाओं का कुमाऊँ पर सन १७९० से १८१५ तक शासन रहा। सन १८१५ में अंग्रेंजो से अन्तिम बार परास्त होने के उपरान्त गोरखा सेना नेपाल वापस चली गई किन्तु अंग्रेजों ने कुमाऊँ का शासन चन्द राजाओं को न देकर ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अधीन कर दिया। इस प्रकार कुमाऊँ पर अंग्रेजो का शासन १८१५ से आरम्भ हुआ। संयुक्त प्रांत का भाग उत्तराखण्ड, १९०३ ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार केदार खण्ड कई गढ़ों (किले) में विभक्त था। इन गढ़ों के अलग-अलग राजा थे जिनका अपना-अपना आधिपत्य क्षेत्र था। इतिहासकारों के अनुसार पँवार वंश के राजा ने इन गढ़ों को अपने अधीनकर एकीकृत गढ़वाल राज्य की स्थापना की और श्रीनगर को अपनी राजधानी बनाया। केदार खण्ड का गढ़वाल नाम तभी प्रचलित हुआ। सन १८०३ में नेपाल की गोरखा सेना ने गढ़वाल राज्य पर आक्रमण कर अपने अधीन कर लिया। यह आक्रमण लोकजन में गोरखाली के नाम से प्रसिद्ध है। महाराजा गढ़वाल ने नेपाल की गोरखा सेना के अधिपत्य से राज्य को मुक्त कराने के लिए अंग्रेजो से सहायता मांगी। अंग्रेज़ सेना
Labels:
Michael
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment